अब 500 रुपए में होगा सर्वाइकल कैंसर का टेस्ट: महावीर कैंसर संस्थान के 9 डॉक्टरों ने खोजा फॉर्मूला, 4 साल में 1250 मरीजों पर रिसर्च – Patna News
महावीर कैंसर संस्थान के 9 डॉक्टर की टीम ने 4 साल की रिसर्च में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग का नया फॉर्मूला खोज निकाला है। कैंसर के लक्षण वाले 1,250 मरीज पर रिसर्च किया गया, जिसमें 1178 की रिपोर्ट नेगेटिव आई। जबकि, नए फॉर्मूले से स्क्रीनिंग में 90 प्
.
डॉक्टरों का दावा है कि ‘स्क्रीनिंग के फॉर्मूले से मात्र 500 रुपए में सर्वाइकल कैंसर को फर्स्ट स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है।’ डॉक्टरों के रिसर्च को इंग्लैंड की साइंटिस्ट रिपोर्ट ‘नेचर पत्रिका’ में प्रकाशित किया गया है।
1941 से हो रही टेस्ट की तकनीक में खामियां
महावीर कैंसर संस्थान के रिसर्च टीम के वैज्ञानिक डॉक्टर अली बताते हैं कि ‘महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर बढ़ रहा है। हर साल भारत में 1 लाख 20 हजार नए मरीज आ रहे हैं। जबकि, बिहार में हर साल 20 हजार नई महिला मरीज मिल रही हैं।’
पहली बार साल 1941 में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए टेस्ट की खोज की गई थी। इसके बाद से सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर टेस्ट प्रचलन में आया। आज भी सर्वाइकल कैंसर की जांच पैप स्मीयर टेस्ट की मदद से की जाती है। डॉक्टर अली की टीम को 4 साल के रिसर्च में पैप स्मीयर टेस्ट में सर्वाइकल कैंसर को फर्स्ट स्टेज में पकड़ने की क्षमता कम मिली है। उन्होंने पैप स्मीयर की जांच तकनीक में कई खामियां बताई है।
90 प्रतिशत मरीजों का सैंपल फेल
डॉक्टर अली ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहते हैं कि ‘रिसर्च के लिए 1,250 मरीजों का चयन किया गया था। ये ऐसे मरीज थे, जिनमें सर्वाइकल कैंसर की संभावना थी। शोध विभाग ने पैप स्मीयर टेस्ट के लिए 22 से 75 वर्ष की महिलाओं का सैंपल कलेक्ट किया। डॉक्टर अली बताते हैं कि ‘रिचर्स में पाया गया कि 1178 मरीजों का टेस्ट नेगेटिव आया, जिसमें कैंसर नहीं होने की बात बताई गई।’
डॉक्टर का कहना है कि इसके अलावा 23 मरीजों में लो ग्रेड यानी कैंसर सेल के कम पाए जाने की संभावना देखी गई, जिसे एल सेल यानी लो सेल बोलते हैं। 12 मरीजों में इससे थोड़ा ज्यादा, जबकि 37 महिलाओं में कैंसर के बॉर्डर लाइन पर यह पाया गया जो काफी सुरक्षित है।
डॉक्टर अली ने बताया कि ‘नई टेस्ट तकनीक से महिलाओं में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म सर्वाइकल कैंसर की पहचान हो सकती है।’
HPV-DNA टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर को पकड़ना आसान
डॉक्टर अली ने बताया कि ‘तीसरे स्टेज की शोध में सही जांच के लिए एचपीवी-डीएनए में सही आकलन के लिए बायोप्सी टेस्ट कराया गया। टेस्ट में पाया गया कि 1178 महिलाओं का बायोप्सी टेस्ट नेगेटिव आया था। कैंसर की संभावना दूर-दूर तक नहीं थी। वहीं, बायोप्सी के बाद 110 में 15 ऐसी महिलाएं हैं, जिनके स्टेट-3 का सर्वाइकल कैंसर पाया गया।
वहीं, 29 महिलाओं की जांच में कैंसर आने की संभावना दिखी। इसके बाद 17 का सीन टू प्लस 3 आया। जबकि, 35 महिलाओं में बिल्कुल कुछ नहीं पाया गया। 14 महिलाओं को कैंसर की संभावना बताई गई। बायोप्सी के बाद फिर से स्लाइड की स्कैनिंग करने पर पाया गया कि एक जगह सेल का समूह इग्नोर किया गया है।
3 वर्ष में एक बार कराया जा सकता है एचपीवी-डीएनए टेस्ट
शोध विभाग के प्रभारी डॉक्टर प्रोफेसर डॉक्टर ए के घोष ने बताया कि ‘भारत में जो लड़कियां 22 की उम्र पार कर चुकी हैं। उन्हें एक बार अपने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी-डीएनए टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। यह टेस्ट प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार कराया जा सकता है। उन्होंने खासकर शादीशुदा महिलाओं को इस तरह का टेस्ट एक बार जरूर कराने की सलाह दी है।’
उन्होंने बताया कि ‘थोड़ी सुरक्षा महिलाओं को खुद करना चाहिए। अगर महिलाएं खुद को सुरक्षित रखकर और समय-समय पर एचपीवी-डीएनए टेस्ट कराती रहीं तो इससे सर्वाइकल कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। भारत में अब यह टेस्ट नए शोध के बाद काफी आसान हो गया है। इससे महिलाओं को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। यह टेस्ट महावीर कैंसर संस्थान में भी आसानी से उपलब्ध है।’
500 में सर्वाइकल कैंसर से बचाव
शोध विभाग के प्रभारी डॉक्टर मोहम्मद अली बताते हैं कि ‘महावीर कैंसर संस्थान 500 रुपए में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग आसानी से हो जाएगी।’ डॉ. अली का मानना है कि सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए किसी भी महिला को पैप स्मीयर टेस्ट से पहले एचपीवी टेस्ट करा लेनी चाहिए, जिससे रिपोर्ट सही-सही आती है।
महावीर कैंसर संस्थान में बड़ी संख्या में कैंसर से पीड़ित मरीज आते हैं।
फर्स्ट स्टेज में कैंसर मरीजों को बचाना आसान
देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर से 77 हजार 348 महिलाओं की मौत हो जाती है। रिसर्च विभाग के डॉक्टरों का मानना है कि सर्वाइकल कैंसर से प्रत्येक वर्ष मरीजों की मौत का मुख्य कारण समय पर जांच नहीं होना है।
डॉक्टर यह भी बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर को टिप्स ऑफ आइसबर्ग (Tip of iceberg) कहा जाता है। बिल्कुल स्पष्ट है कि ऊपर से देखने से कुछ भी नहीं पता चलता है। जबकि, कैंसर की बीमारी अंदर ही अंदर चौथे स्टेज तक पहुंच जाती है। ऐसे मरीजों की जान बचा पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में नया रिसर्च एचपीवी-डीएनए मरीज के लिए एक नए खोज के रूप में देखा जा रहा है।
Average Rating