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केजरीवाल के बाद कौन संभालेगा दिल्ली की गद्दी? रेस में हैं ये तीन नाम लेकिन राह में रोड़े भी

केजरीवाल के बाद कौन संभालेगा दिल्ली की गद्दी? रेस में हैं ये तीन नाम लेकिन राह में रोड़े भी

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Arvind Kejriwal: देश की राजधानी से लेकर पूरे देश में सिर्फ एक ही सवाल लोगों की जुबान पर है कि दिल्ली का अगला सीएम कौन होगा? केजरीवाल जमानत पर रिहा होकर निकले तो दो दिन के भीतर इस्तीफे के ऐलान से राजनीतिक हड़कंप मचा दिया.

यूं तो दिल्ली के सीएम पद की रेस में तीन नाम चल रहे हैं जो हैं दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय. लोगों को ये बात चौंका रही है कि जब केजरीवाल ने जेल में रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया था तो फिर जमानत मिलने के बाद क्यों और वैसे भी 5 महीने बाद ही यानि फरवरी 2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं यानि सिर्फ पांच महीने के लिए दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलेगा लेकिन सबसे बड़ा सस्पेंस इस बात पर है कि वो सीएम कौन होगा?  

केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है लेकिन सीएम के नाम से पर्दा नहीं उठाया है.  केजरीवाल ने ये भी साफ कर दिया कि वो और मनीष सिसोदिया दोनों ही कोई पद नहीं संभालेंगे. 13 सितंबर (शुक्रवार) को दिल्ली के सीएम केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आए जिसके बाद पूरी आम आदमी पार्टी दीवाली जैसे जश्न में डूब गई. ये खुशी दोहरी इसलिए थी क्योंकि केजरीवाल से ठीक पहले उनके पूर्व शिक्षा मंत्री और पुराने दोस्त मनीष सिसोदिया भी जमानत पर बाहर आ चुके थे. जश्न के इस सिलसिले के बीच केजरीवाल ने 15 सितंबर यानि रविवार के दिन समर्थकों को संदेश दिया और फिर केजरीवाल ने इस्तीफे के ऐलान की खबर से हर किसी को चौंका दिया.

आतिशी बनेंगी मुख्यमंत्री?

केजरीवाल की रणनीति साफ है कि वो चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देकर मास्टरस्ट्रोक खेलना चाहते हैं और संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें सत्ता का लालच नहीं है. दिल्ली से लेकर देश के राजनीतिक गलियारे तक चर्चा बहुत तेज हो रही है और इस चर्चा में सबसे पहला नाम दिल्ली की शिक्षा और जल मंत्री आतिशी का लिया जा रहा है.

आतिशी की दावेदारी क्यों है मजबूत?

– दिल्ली के कालकाजी से विधायक 43 साल की आतिशी ना सिर्फ आम आदमी पार्टी की तेज तर्रार नेता हैैं बल्कि पार्टी का महिला चेहरा हैं.

– जब मनीष सिसोदिया से लेकर संजय सिंह और केजरीवाल तक तिहाड़ जा चुके थे जब सौरभ भारद्वाज और गोपाल राय के साथ आतिशी ही पार्टी और सरकार को संभाल रही थीं.

– मौजूदा वक्त में भी आतिशी दिल्ली सरकार की सशक्त नेता हैं. आतिशी शिक्षा, जल, पीडब्ल्यूडी, राजस्व और योजना जैसे 14 मंत्रालयों का जिम्मा संभाल रही हैं.

आतिशी के नाम की चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है कि क्योंकि 15 अगस्त के मौके पर छत्रसाल स्टेडियम के विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रध्वज फहराने के लिए केजरीवाल ने जेल से आतिशी के नाम की सिफारिश की थी लेकिन सिफारिश खारिज कर दी गई थी. आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को आतिशी पर इस कदर भरोसा है कि पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जिस आवास में रहते हैं वो आतिशी के नाम पर है. आतिशी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढाई कर चुकी हैं और दिल्ली की शिक्षा क्रांति का हिस्सा रही हैं

आतिशी की राह में क्या है रोड़ा?

तमाम बाते हैं यूं तो आतिशी के पक्ष में जाती हैं लेकिन आतिशी के सीएम बनने की राह में रोड़े की बात करें तो उनके पास सरकार चलाने का अनुभव नहीं है. जाहिर है कि केजरीवाल कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे और वो दिल्ली की सत्ता किसी ऐसे चेहरे के हाथ में सौंपेंगे जो ना सिर्फ उनका भरोसेमंद हो बल्कि हरियाणा से लेकर दिल्ली के चुनाव तक संदेश देने का काम भी करे. सीएम की कुर्सी छोड़कर नया सीएम चुनना आसान बिल्कुल नहीं है क्योंकि झारखंड से लेकर बिहार तक जब भी सत्ता का ट्रांसफर हुआ तो बात बगावत तक पहुंच गई है. 

कैलाश गहलोत भी हैं दावेदार

– केजरीवाल को बेहद सावधानी के साथ सीएम के लिए नाम तय करना है और इस रेस में अगला नाम कैलाश गहलोत का है.  दिल्ली के सीएम के तौर पर कैलाश गहलोत का नाम आने के पीछे है हरियाणा चुनाव.

– कैलाश गहलोत जाट परिवार से आते हैं. हरियाणा में किसान और पहलवानों के आंदोलन को जाटों ने ही खड़ा किया है ऐसे में कैलाश गहलोत पार्टी के लिए मजबूत दांव साबित हो सकते हैं.

– कैलाश गहलोत के एलजी विवेक सक्सेना से अच्छे रिश्ते हैं और जब अरविंद केजरीवाल ने एलजी से आतिशी के नाम की सिफारिश की थी जब एलजी ने केजरीवाल का फैसला बदलकर कैलाश गहलोत को चुना था.

– 50 साल के कैलाश गहलोत नजफगढ़ से विधायक हैं, कैलाश गहलोत दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकील रह चुके हैं. 16 साल की कानूनी प्रैक्टिस कर चुके गहलोत दिल्ली सरकार में लॉ से लेकर ट्रांसपोर्ट, आईटी, रेवेन्यू, प्लानिंग और होम मिनिस्ट्री जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं.

कैलाश गहलोत की राह में क्या है रोड़ा?

कैलाश गहलोत के पक्ष में बहुत सारी बातें जाती हैं लेकिन सीएम पद की राह में रोड़ा बनने वाली बात ये है कि कैलाश गहलोत पर परिवहन घोटाले के आरोप लग चुके हैं. इसके अलावा जिस शराब घोटाले में केजरीवाल फंसे हैं उसमें भी ईडी उनसे पूछताछ कर चुकी है.

गोपाल राय भी मजबूत दावेदार

सीएम पद की रेस में तीसरा नाम गोपाल राय का है. गोपाल राय, वो नाम हैं जो आम आदमी पार्टी के पहली बार सत्ता में आने के बाद से उसका अटूट हिस्सा बनकर रहे है. गोपाल राय वो नाम हैं जो राजनीति में आने से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आंदोलन की उपज हैं और अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं. गोपाल राय के पक्ष में जो सबसे बड़ी बात जाती है वो ये कि वो संगठन और सरकार दोनों के साथ मजबूती के साथ जुड़े रहे हैं .

गोपाल राय का क्या है मजबूत पक्ष

– आम आदमी पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं, गोपाल राय के पास जमीन पर काम करने का अनुभव है और उन्हें केजरीवाल का भरोसेमंद माना जाता है

– गोपाल राय दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री हैं. दिल्ली के बड़े मुद्दों पर काम करने और संघर्ष करने की क्षमता ने गोपाल राय की दावेदारी को मजबूत किया है

गोपाल राय भूमिहार जाति से आते हैं इसलिए हरियाणा चुनाव को देखते हुए वो सीएम पद की रेस में पिछड़ सकते हैं इसके अलावा उनका स्वास्थ्य सीएम पद की दावेदारी की राह में रोड़ा बन सकता है. आम आदमी पार्टी अपना नया सीएम ढूंढ रही है. सोमवार शाम को केजरीवाल के घर पर पीएसी की बैठक भी हुई और इन सबके बीच बीजेपी हमलावर हो चुकी है और इस पूरी प्रक्रिया को केजरीवाल का पॉलिटिकल स्टंट बता रही है.

कब इस्तीफा देंगे केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के मुताबिक, केजरीवाल मंगलवार (17 सितंबर) को इस्तीफा दे देंगे और मुमकिन है कि इसी दिन नए सीएम का ऐलान हो जाए. मंगलवार सुबह 11 बजे सीएम कैंप दफ्तर में दिल्ली के सभी विधायकों की बैठक बुलाई गई है. मीटिंग के एजेंडा में साफ लिखा है कि विधायक दल के नेता का चयन करने के लिए ये बैठक बुलाई गई है. तीन नाम पर चर्चा हो रही है लेकिन अंदरखाने और कई नाम हैं जो सीएम पद की रेस में बताए जा रहे हैं.

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