गैंगरेप के बाद बेहोश हुई, फिर भी रेप करते रहे: दरभंगा में नाबालिग बोली- टीचर बनना चाहती थी, अब घर से निकलने से डरती हूं – Darbhanga News
फूस का घर…उसमें एक मातमी सन्नाटा…उसे चीरती कभी कभार लड़की की सुबकने की आवाज। कुछ आगे बढ़ने पर सिर पर हाथ रख चिंता में डूबी बुजुर्ग महिला। खाट पर पड़े बीमार बुजुर्ग। यह मंजर दरभंगा की 13 साल की गैंगरेप पीड़िता के घर का है।
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वो कहती है-‘मैं टूट गई हूं। उन चार लड़कों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। मेरे सपने छीन लिए। बेहोशी की हालत में भी मेरे साथ रेप किया। मुझसे अब कोई शादी नहीं करेगा। डर इतना लगता है कि अब घर से कभी बाहर नहीं निकलूंगी।’
3 अगस्त को लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था। पंचायत ने परिवार को पैसे लेकर चुप रहने को कहा। परिजनों ने पंचायत के फैसले को नहीं माना और आरोपियों के खिलाफ 7 अगस्त को बड़गांव थाने में FIR दर्ज करवाई थी।
पुलिस ने अगले दिन यानी 8 अगस्त को पीड़िता और उसकी मां को थाने बुलाया। मेडिकल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड करवाने में चार दिन लगा दिए। कोर्ट में 164 के तहत बयान दर्ज करवाने और आरोपियों की गिरफ्तारी के बदले पीड़िता को जमालपुर थाने की बैरक भेज दिया। 9 अगस्त को सिर्फ मेडिकल टेस्ट करवाया गया। सोमवार (12 अगस्त) को अल्ट्रासाउंड और 164 का बयान दर्ज करवाया गया।
सोमवार की रात लड़की वापस अपने घर पहुंची। भास्कर ने लड़की से बात की। उसने हमें बताया कि ‘गैंगरेप के बाद मैं बेहोश हो गई थी, लेकिन वो फिर भी नहीं रुके। मेरे साथ रेप करते रहे। उन्हें जीने का अधिकार नहीं है। पिता बीमार थे तो भी पुलिस वालों ने उसे घर नहीं जाने दिया। कहा- चली जाओगी तो तुम्हें वापस कौन लेकर आएगा।’ उसने हमें ये भी बताया कि वो एक अच्छी टीचर बनना चाहती थी। अब आगे 13 साल की लड़की की जुबानी पूरी कहानी…
मैं अप्रैल में प्रयागराज से दरभंगा पहुंची थी…
मैं प्रयागराज में अपनी दीदी के यहां रहकर पढ़ाई करती थी। अप्रैल में अपने माता-पिता के पास गांव दरभंगा पहुंची थी। मैं अपनी सहेलियों के साथ रोज खेत में जाती थी और मवेशियों के लिए चारा लाती थी। 3 अगस्त की शाम को मैं कभी नहीं भूल सकती हूं।
उस दिन भी मैं घास काटकर अपनी दो सहेलियों के साथ घर वापस लौट रही थी। मेरे सिर पर रखा घास का गट्ठर खुल गया। वो बंध नहीं रहा था। मैंने अपनी सहेलियों को कहा- मेरी मां को बता दो और उसे यहां आने के लिए बोल देना। दोनों वहां से चली गईं। इसी बीच मुझे अकेला देख नदीम मेरे पास आ गया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही उसने मेरा मुंह दबा दिया। मेरे ही दुपट्टे से मेरा मुंह बांध दिया और गोद में उठाकर पास के बगीचे में ले गया।
3 अगस्त को इसी खेत से सटे बगीचे में आरोपियों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था।
बेहोशी की हालत में दुकान के पास छोड़कर चले गए…
लड़की ने आगे बताया कि यहां नदीम मेरे साथ मारपीट करने लगा। इसी बीच उसके तीन और साथी भी आ गए। फिर चारों ने मेरे साथ गैंगरेप किया। मैं बेहोश हो गई तो भी मुझे नहीं छोड़ा। वो फिर भी रेप करते रहे। बेहोशी की हालत में ही गाड़ी पर बैठाकर गांव के पास बालू सीमेंट की दुकान के पास छोड़ दिया। जब होश आया तो उसके पूरे पैर में कीचड़ लगा हुआ था।
मुझे एक घर दिखा, मैंने दरवाजे पर दस्तक दी। एक महिला बाहर आई। उसने मेरे पैर धुलवाए। उन्होंने मेरा नाम पता पूछा पर बेहोशी की हालत की वजह से मैं कुछ बता नहीं पा रही थी।
मैं घर जाने के लिए उठी पर गिर गई। पड़ोस के गांव के ही दो लड़के आए। उन्होंने मेरे भाई के नाम से मुझे पहचान लिया। उन्होंने फोन पर भाई से बात कराई। इसके बाद मां-भाई आए और मुझे घर लेकर गए। घर वालों ने मेरे से पूछताछ की। मैंने अपनी पूरी आपबीती बता दी। परिजनों ने मुझे बहुत सारे फोटो दिखाए, जिसमें से मैंने एक आरोपी को पहचान लिया। वो नदीम था। गांव में कुछ लोगों ने पंचायत में आरोपी पर जुर्माना लगाकर सुलह कराना चाहा पर मैंने पुलिस की मदद ली।
8 अगस्त से चार दिन तक पीड़िता जमालपुर थाने की इसी बैरक में रही।
लोगों को अपने बेटों को समझाना चाहिए…
मैं न्याय चाहती हूं। आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। मैं टीचर बनना चाहती थी। पर अब अपने घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। लोगों से अपील है कि वो अपने बेटों को समझाए। अपनी मां-बहन की ही तरह दूसरे की भी मां-बहन को समझे। उन्हें इज्जत दें। आरोपियों ने मेरे साथ पूरे परिवार की इज्जत तार-तार कर दी। मेरे पिता दिव्यांग हैं। वह बीमार रहते हैं। न सही से चल पाते हैं और न सुनते हैं। मैं बिल्कुल मजबूर हूं।
मुझे 8 अगस्त से 4 दिन तक जमालपुर थाने की बैरक में रहना पड़ा। इस दौरान मैंने पिता की तबीयत खराब होने की बात कह कर घर जाना चाहा तो वहां पुलिसकर्मियों ने रोक दिया। कहा- तुम्हारे घर कोई ऐसा है नहीं, जो तुम्हें फिर थाना पहुंचाए और यहां से बार-बार तुम्हें कोई लाने-पहुंचाने नहीं जा सकता है। इसलिए तुम यही पर रहो।
बैरक में महिला पुलिस जो खाना खाती मुझे भी वही मिलता…
मैं तीन महिला पुलिसकर्मी के साथ रह रही थी। ग्रामीण एसपी काम्या मिश्रा ने भी पूछताछ की। मैंने उन्हें सारी बात बताई। वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी द्वारा जो खाना बनाया जाता था, वही मुझे भी खिलाया जाता था।
लड़की की मां ने बेटी के लिए न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि ‘आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।’
बच्ची से बात करने के बाद भास्कर ने उसकी मां से बात की
मां बोली- अब बेटी से कौन शादी करेगा
लड़की की मां बार-बार इंसाफ दिलाने की बात करती हैं। वो कहती है कि हम लोग गरीब हैं। हमारे पति विकलांग हैं। अब मेरी बेटी से शादी कौन करेगा। गरीब का कोई अपना नहीं है। अब सारी बातों को सोच कर डर लगता है। उसने आगे बताया कि मैं इस बोझ को लेकर कहां-कहां चलूंगी। मेरी बेटी को उन लड़कों ने बर्बाद कर दिया है। मैं आरोपियों के लिए फांसी की सजा चाहती हूं, तभी मेरी बेटी को न्याय मिलेगा। अब मुझे खुद के साथ भी ऐसी घटना होने का डर लगा रहता है। इस डर की साए में हम लोग कैसे काम करेंगे। हम लोगों का गुजारा कैसे होगा।
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दरभंगा में 3 अगस्त को एक नाबालिग (13) के साथ गैंगरेप हुआ। पीड़ित परिवार ने पहले गांव के कुछ जिम्मेदार लोगों को घटना की सूचना दी। फिर पंचायत बुलाई गई, जिसमें गैगरेप पीड़िता की इज्जत की बोली लगा दी गई। परिजनों ने पंचायत के फैसले को नहीं माना और आरोपियों के खिलाफ 7 अगस्त को बड़गांव थाने में FIR दर्ज करवाई। पुलिस ने अगले दिन यानी 8 अगस्त को पीड़िता और उसकी मां को थाने बुलाया। मेडिकल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड करवाने में चार दिन लगा दिए। कोर्ट में 164 के बयान दर्ज करवाने और आरोपियों की गिरफ्तारी के बदले पीड़िता को जमालपुर थाने की बैरक भेज दिया। हालांकि, 9 अगस्त को सिर्फ मेडिकल टेस्ट करवाया गया। सोमवार (12 अगस्त) को अल्ट्रासाउंड और 164 का बयान दर्ज करवाया गया। पूरी खबर पढ़ें…
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