बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान ‘दाना’ अब कमजोर पड़ गया है। जिसके बाद आज बिहार के सभी 38 जिलों में मौसम सामान्य बने रहने की संभावना जताई गई है। हालांकि, मौसम विभाग के मुताबिक 19 जिलों में बादल आज भी छाए रहेंगे।
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इन जिलों में नालंदा, जहानाबाद, शेखपुरा, गया, नवादा, लखीसराय, जमुई, बांका, मुंगेर, बेगूसराय, भागलपुर, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, अररिया, किशनगंज शामिल हैं। यहां 10 से 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा भी चलेगी।
बीते 24 घंटे के दौरान बिहार के 11 जिलों में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश हुई। पटना समेत 8 जिलों में दिनभर बादल छाए रहे। मौसम विभाग के अनुसार पोस्ट मानसून सीजन में बिहार में अब तक 14.8 मिमी. बारिश हुई है, जो सामान्य से 74% कम है।
19 जिलों में दिखा साइक्लोन का असर
साइक्लोनका असर बिहार के कुछ जिलों में बुधवार रात से ही दिखना शुरू हो गया था। गुरुवार को इसका असर बिहार के 13 जिलों में दिखा, लेकिन साइक्लोन के ओडिशा के तट से टकराने के बाद शुक्रवार को इसका असर 19 जिलों में हुआ। मौसम विज्ञान केंद्र की माने तो दक्षिण बिहार के 13 और पूर्वी बिहार के 6 जिलों में साइक्लोन का असर देखा गया।
वहीं, बारिश के बाद पूर्णिया के रुपौली में खेत में पड़ी किसान की धान की फसल बर्बाद हो गई। यहां आलू के खेत में भी पानी भरने से किसान को काफी नुकसान हुआ है। वहीं, 7 जिले जमुई, बेगूसराय, भोजपुर, नालंदा, समस्तीपुर, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर में दीवाली के लिए दीये और मूर्ति बनाने वाले कुम्हारों को 80% का नुकसान हो गया।
नीचे बारिश के बाद होने वाले नुकसान की कुछ तस्वीरें देखिए..
पूर्णिया के रुपौली में बारिश से खेत में पड़ी किसान की धान की फसल बर्बाद हो गई।
तस्वीर पूर्णिया के रुपौली की है, जहां आलू के खेत में पानी भरने से किसान का नुकसान हो गया।
तूफान से ठंड पर कोई असर नहीं
मौसम वैज्ञानिक एसके पटेल के मुताबिक, बिहार में साइक्लोन का ज्यादा असर नहीं हुआ है। साइक्लोन के दौरान 10 से 20 किमी. की रफ्तार से हवा चली, लेकिन इसका ठंड पर कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। फिलहाल आने वाले दिनों में मौसम साफ रहेगा। बिहार के किसी भी जिले में बारिश की संभावना नहीं है।
अक्टूबर से दिसंबर तक होने वाली बारिश पोस्ट मानसून कहलाती है
भारत में मानसून की बारिश सामान्य रूप से जून से शुरू हो जाती है, जो सितंबर तक चलता है। इसे साउथ वेस्ट मानसून कहते हैं। भारत में सालभर की 75 फीसदी बारिश इसी साउथ वेस्ट मानसून से पूरी होती है। इसलिए ये चार महीने बारिश के लिहाज से काफी अहम होते हैं। वहीं, मार्च से मई के बीच होने वाली बारिश को प्री-मानसून कहते हैं। जबकि अक्टूबर से दिसंबर के बीच होने वाली बारिश को पोस्ट मानसून कहा जाता है।