35 घंटे में सरकार और संगठन को साध गए नड्डा: नए-पुराने नेताओं के बीच संवाद बढ़ाने का निर्देश; कैबिनेट में नए चेहरे पर भी चर्चा – Patna News
लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहली बार बिहार आए। दो दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने करीब 35 घंटे बिहार में गुजारे। पटना, मगध, तिरहुत, मिथिला और अंग प्रदेश यानी कि आधे बिहार का उन्होंने दौरा किया। इस दौरान उन्होंने विधानसभा
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नड्डा ने बिहार को हेल्थ के क्षेत्र में लगभग 1500 करोड़ की सौगात दी। साथ ही बिहार में सरकार के स्वरूप को बेहतर बनाने पर सीएम नीतीश के साथ चर्चा भी की।
बीजेपी कोर कमेटी के साथ लगभग ढाई घंटे तक जेपी नड्डा ने संगठन की मजबूती पर मंथन किया। यहां उन्होंने साफ मैसेज दिया कि नए और पुराने नेताओं को आपस में संवाद बढ़ाना होगा। दूसरी तरफ उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के साथ उप चुनाव में सीट शेयरिंग से लेकर कैंडिडेट सिलेक्शन के साथ कैबिनेट में नए चेहरे पर चर्चा की।
दैनिक भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट पढ़िए बीजेपी के मिशन बिहार के तहत नड्डा के इस दो दिवसीय दौरे के सियासी मायने
विशेष राज्य की मांग को विशेष पैकेज से भुनाने की कोशिश
भागलपुर में 200 करोड़ की सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बार-बार एक बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि चुनाव में सही जगह उंगली दबाने से सही परिणाम आता है।
इसके मायने बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि बिहार को लगातार विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठती रही है। इस बार केंद्रीय बजट में सरकार की तरफ से लगभग 60 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज भी दिया गया है। बीजेपी यह संदेश देने की कोशिश में जुटी है कि बिहार के विकास में नीतीश कुमार के साथ भाजपा जुटी है। इसके लिए फंड की कोई कमी नहीं होगी।
जेपी नड्डा, मंगल पांडेय और सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की।
गठबंधन ‘अटूट’ है, ये मैसेज बिहार तक पहुंचाना
पहले जेपी नड्डा और सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों एक साथ IGIMS में आई हॉस्पिटल का उद्घाटन करने पहुंचे। यहां नीतीश कुमार ने एक बार फिर से दोहराया कि ‘अब इधर-उधर नहीं जाएंगे। बीच में 2 बार इधर-उधर हुआ, ये गलती हुई।’ नीतीश कुमार के इस बयान को उनका सफाई माना जा रहा है।
एक साल पहले जेपी नड्डा के बयान ‘देश से सभी क्षेत्रीय पार्टियों का सफाया हो जाएगा’ के बाद ही बीजेपी और जदयू का गठबंधन भी टूटा था। अब नीतीश कुमार के बयान पर वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि ‘नीतीश कुमार जनता को आश्वासन दे रहे हैं कि उनके रिश्ते प्रगाढ़ हैं। अटूट हैं। वे अब बीजेपी के साथ मिलकर ही बिहार और केंद्र में सरकार चलाएंगे।’
जल्द हो सकता है बीजेपी के प्रदेश कमेटी का विस्तार
विरोध के बाद बीजेपी ने बिहार में सम्राट युग का अंत कर दिलीप जायसवाल को पार्टी की कमान दी थी। लेकिन, 40 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक जायसवाल अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। सूत्रों की माने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने बिहार दौरे के दौरान इस पर भी चर्चा की है। जल्द ही प्रदेश कमेटी का विस्तार भी हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कमेटी में पुराने नए के साथ पुराने नेताओं को भी शामिल करने की हिदायत दी है। कोर कमेटी में शामिल पार्टी के एक सीनियर लीडर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर को बताया कि जेपी नड्डा ने कोर ग्रुप में शामिल नेताओं को आपस में बातचीत करने की हिदायत दी है, ताकि पार्टी को सार्थक दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। साथ ही नड्डा ने संगठन के किसी भी विवाद को दूर कर आत्मीयता बढ़ाने की हिदायत दी है।
विरोध के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से सम्राट को हटाया गया था
दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद कई सीनियर नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व का खुल कर विरोध किया था। इन्हें पार्टी में आयातित नेता कहा गया। इसमें अश्विनी चौबे, हरी मांझी और ललन पासवान जैसे नेता शामिल थे। विरोध के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से इनकी छुट्टी भी कर दी गई।
तब ऐसा कहा गया कि पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है। भीतरखाने इस बात की चर्चा हुई कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का गुट प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपना नेता सेट करना चाहता था। जबकि, एक गुट पार्टी के सीनियर नेताओं का है जो संघ से आए नेताओं के पैरोकार हैं।
इसके अलावा एक गुट उन नेताओं का है जो दूसरी पार्टी से बीजेपी में आए हैं। इन गुटों का नुकसान पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी हुआ है। इसी कारण नड्डा ने सभी को एकजुट रहने की हिदायत दी है।
जेपी नड्डा का स्वागत करते हुए प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल।
पार्टी से ईबीसी को जोड़ें, सवा करोड़ कार्यकर्ता बनाने का लक्ष्य
बीजेपी बिहार में अब सवर्ण मतदाताओं के साथ दलित और पिछड़े वोटर्स को भी अपने पाले में लाने की जुगत में जुट गई है। कोर कमेटी की बैठक में उन्होंने पार्टी के केंद्रीय और राज्य मंत्रियों से लेकर संगठन के हर बड़े पदाधिकारी को सदस्यता अभियान में जुड़ने की हिदायत दी है। उन्होंने साफ कहा है कि नेता पिछड़े खास कर अतिपिछड़ों को पार्टी से जोड़ने पर अपनी पूरी ताकत लगाएं। इसके साथ ही उन्होंने नेताओं को जमीन पर अपनी एक्टिविटी बढ़ाने की हिदायत दी है।
नड्डा खुद दलित बस्ती में चाय पी कर दलितों को पार्टी से जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने पार्टी के दलित बस्ती खाजे कलां में सदस्यता अभियान चलाया। यहां उन्होंने टोकन के तौर पर दलित लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई ।
अब समझिए बिहार पर फोकस क्यों
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो बिहार को लेकर बीजेपी संशय की स्थिति में हैं। लोकसभा चुनाव में बिहार में अगर किसी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वो है बीजेपी। चुनाव में पार्टी को 5 सीटों का नुकसान हुआ। राज्य में पार्टी 17 सीटों से घटकर 12 सीटों पर आ गई। जबकि, इनकी दो सहयोगी पार्टी जदयू और एलजेपी (आर) का प्रदर्शन लगभग पिछले चुनाव के बराबर ही रहा। नतीजा नीतीश और चिराग बिहार में बीजेपी के लिए मजबूरी बन गए। अब पार्टी विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत हासिल करना चाहती है, ताकि बिहार में अगर उनकी सरकार बने तो वे अच्छी स्थिति में रहें।
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