Bihar : नीतीश की घोषणा से उपेंद्र कुशवाहा बने थे संसदीय बोर्ड अध्यक्ष, ललन बोले- वह सिर्फ MLC हैं

0
62
Bihar : नीतीश की घोषणा से उपेंद्र कुशवाहा बने थे संसदीय बोर्ड अध्यक्ष, ललन बोले- वह सिर्फ MLC हैं



JD(U) national president Rajiv Ranjan Singh alias Lalan
– फोटो : amar ujala

विस्तार

रविवार को जनता दल यूनाईटेड के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष के नाते उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी को बीमार बताकर इलाज के लिए 19-20 फरवरी को बैठक का ऐलान किया तो ‘अमर उजाला’ ने उसी खबर में एक्सपर्ट के जरिए साफ कर दिया था कि अब जदयू के पास उन्हें बाहर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं। सोमवार को उस विकल्प को लेकर एक बड़ा बयाना आया, जिससे खलबली मच गई है। इसे कुशवाहा के लिए जदयू का एग्जिट प्लान कह सकते हैं। एग्जिट प्लान के बयान से पहले इंट्री के दिन को याद करना जरूरी है-

नीतीश निश्चय से बना था यह पद

“हमारी इच्छा थी। उसी इच्छा का पालन करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने पत्र भेज दिया है। भाई उपेंद्र कुशवाहा जी को तत्काल प्रभाव से जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बना दिए गए हैं।”

– नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार (14 मार्च 2021)

ललन के ऐलान से यह पद ही गायब

“जनता दल यूनाईटेड में सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ है। पार्टी में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का तो कोई चुनाव ही नहीं हुआ है। संसदीय बोर्ड का कोई अध्यक्ष नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ MLC हैं।”

– राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, अध्यक्ष- जदयू (06 फरवरी 2023)

इस नौबत की शुरुआत कैसे हुई, यह जानना भी रोचक

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा के भविष्य पर उनकी महात्वाकांक्षा भारी पड़ी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का गुट उपेंद्र कुशवाहा को लेकर असहज था, लेकिन बाहर सबकुछ ठीकठाक भी था। संकट की शुरुआत मकर संक्रांति के पहले तब हुई, जब कुशवाहा के बारे में कुछ मीडिया ने यह खबरें चला दीं कि वह डिप्टी सीएम बन रहे हैं। कुशवाहा ने भी खंडन नहीं किया, बल्कि नीतीश कुमार के ‘दिल्ली-कूच’ की नीति समझे बगैर खुद को इस पद के काबिल और हकदार भी बता दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने कुशवाहा का सपना तोड़ दिया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। इसके बाद कुशवाहा चुप्पी तो मार गए, लेकिन बिहार की राजनीति में इस उठापटक की तस्वीर दिल्ली से आ गई। उपेंद्र कुशवाहा को देखने एम्स में भाजपा के तीन नेता गए तो गए, सोशल मीडिया पर भाजपा और जदयू को हैशटैग भी कर दिया। जदयू नेता पहले इसपर चुप थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संवाददाताओं के सवाल पर कहा दिया कि कुशवाहा तो पार्टी में आते-जाते रहते हैं। कुशवाहा तब भी इसपर नीतीश से बात कर लेते तो मामला संभल जाता, लेकिन वह दो कदम आगे बढ़ गए। कह दिया कि जदयू ही भाजपा के साथ जुड़ती-हटती रही है। पार्टी बीमार है, इलाज की जरूरत है। इसके साथ ही यह तय हो गया कि नीतीश से झंझट कर कुशवाहा ने अपनी कब्र खुद खोद ली। मुख्यमंत्री ने भी कुशवाहा को मीडिया के जरिए ही जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया कि जबतक बोलना है बोलें और जितनी जल्दी निकलना है निकल जाएं। नीतीश के इस रुख की कुशवाहा को उम्मीद नहीं थी। सो, उन्होंने तत्काल खुद को नीतीश का सिपाही बता दिया। पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सेदारी की बात कर दी। गुरुवार को नीतीश थोड़े नरम होकर विकल्प देते भी नजर आए, लेकिन कुछ ही देर बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कह दिया कि उन्हें (उपेंद्र कुशवाहा को) शर्म आनी चाहिए। फजीहत-दर-फजीहत के बाद कुशवाहा ने आखिरकार 5 फरवरी को एक खुला पत्र जारी किया कि 19-20 फरवरी को वह बीमार जदयू के इलाज के लिए विमर्श करेंगे। इस पत्र के साथ ही तय हो गया कि अब कुशवाहा के साथ जदयू में कुछ अच्छा होने की उम्मीद नहीं बची है।

S

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here