MY समीकरण को PK का चैलेंज, सेंधमारी की तैयारी शुरू:RJD के मुसलमान उम्मीदवार के सामने उतारेंगे हिंदू कैंडिडेट, मुस्लिम वोटर्स के लिए जानिए प्रशांत किशोर की प्लानिंग
रविवार को प्रशांत किशोर ने पटना के बापू सभागार में मुसलमानों की मजलिस बुलाई थी। 7 हजार की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों को एकजुट कर पीके ने अपनी ताकत दिखाई। पीके ने ये दावा किया है कि मुस्लिम वोटर उनके साथ हैं। उन्होंने यह ऐलान किया है कि वह विधानसभा चुनाव में 40 मुसलमान उम्मीदवार उतारेंगे। पीके के इस ऐलान से सबसे ज्यादा नुकसान राजद को पहुंचने वाला है। बिहार में सबसे अधिक मुसलमान वोटर राजद के साथ हैं। ऐसे में राजद के MY समीकरण में पीके ने बड़ी सेंधमारी करने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि पीके ने मंच से कहा है कि राजद के वोट बैंक में सेंधमारी की कोई जरूरत नहीं है। हमें राजद के वोट बैंक और उनके गणित से कोई लेना-देना नहीं है। पीके ने चैलेंज करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में आरजेडी जहां भी मुसलमान उम्मीदवार मैदान में उतरेगी। वहां से हमारी पार्टी मुसलमान को टिकट नहीं देगी। बल्कि उसकी जगह हिंदू चेहरे को उतारेगी। ऐसे में जन सुराज के सुत्रधार प्रशांत किशोर मुसलमान वाेटर्स को अपने पक्ष में करने के लिए खास प्लानिंग की है। एक करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी की शुरुआत प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 को पश्चिमी चंपारण से अपने पदयात्रा की शुरुआत की थी। जन सुराज के मुताबिक प्रशांत किशोर अब तक 665 दिनों की पदयात्रा कर चुके हैं। इस दौरान वो बिहार के 2 हजार 697 गांवों में लोगों से मिले हैं। कल कार्यक्रम के दौरान पीके ने 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज की नई पार्टी बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि एक करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी की शुरुआत की जाएगी। पीके की मुसलमानों के लिए घोषणा-: 1. नई पार्टी बनने पर सदस्यों में 18 लाख सिर्फ मुसलमान कार्यकर्ता होंगे। 2. जिसकी जितनी संख्या होगी उसी अनुसार पार्टी में उसकी भागीदारी दी जाएगी। 3. विधानसभा चुनाव में जन सुराज 40 सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार उतारेगी। 4. प्रशांत किशोर खुद मुसलमान उम्मीदवार के चुनाव का खर्च उठाएंगे। 5. नई पार्टी में 20 फीसदी मुसलमानों की भागीदारी होगी। पीके के मुसलमान उम्मीदवार से किसका होगा नुकसान पीके के भाषण की प्रमुख बातें-: पीके ने मंच से कहा कि यह कोई राजनीतिक मिलन नहीं है। आगे का रास्ता ना दिखे तो मशवरा करना चाहिए। आज मशवरे की जरूरत इसलिए है, क्योंकि आज देश में मुसलमान चाह कर भी अपने बच्चों को जगह नहीं दे पा रहे हैं। इस व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए ताकि मुसलमानों के बच्चों को इंसाफ मिले। मुसलमान आज देश के सबसे अनपढ़ कौम बन गए हैं। भारत में मुसलमानों के पुरखों ने आजादी दिलाने में खून बहाने का काम किया आज उसी देश के पार्लियामेंट से मुसलमानों के खिलाफ में कानून बन रहे हैं। मुसलमानों के खिलाफ CAA और NRC का कानून बनाया जाता है। पीके ने कहा कि जन सुराज कोई पार्टी नहीं और न ही मैं कोई रहनुमा बनना चाहता हूं। जन सुराज सिर्फ एक व्यवस्था है। मुझे मुसलमानों का वोट नहीं, बल्कि दुआ चाहिए। मुसलमानों को सबने ठगा है ,कोई कांग्रेस को दोषी तो कोई लालू को दोषी बता रहा। पैगंबर साहब की पंक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि आप गलत रहनुमाओं का जब भी चुनाव करेंगे तो जालिम हुक्मरान ही मिलेंगे। नीतीश के साथ आज नहीं हूं, लेकिन नीतीश ने 2014 में मुसलमानों के साथ गलत नहीं किया था। 2005 से 12 तक बिहार में जो काम हुआ उसमें मुसलमानों को फायदा हुआ। 2017 में नीतीश ने मुसलमानों को ठगने काम किया। आज बिहार में दलितों के बाद सबसे ज्यादा गरीब कोई है तो वो है मुसलमान है। आबादी के हिसाब से मुस्लिम समाज के 40 विधायक होने चाहिए। आज विधायकों की संख्या 19 ही है। बिहार में आबादी के हिसाब से 1650 मुखिया और सरपंच होनी चाहिए, लेकिन 1200 ही संख्या है। साढ़े 27 हजार से ज्यादा वार्ड सदस्य होनी चाहिए, लेकिन मात्र 11 हजार ही वार्ड सदस्य हैं। वहीं राजद पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि राजद ने आपको राजनीतिक गुलाम बनाने का काम किया। आप मुसलमान सिर्फ राजद का झंडा ढोते रह गए। आपको भागीदारी मिली नहीं और आप भाजपा को हरा नहीं सके तो क्यों उसी लकीर पर खड़े हो। भाजपा का डर दिखाकर मुसलमानों को राजनीतिक बंधुआ मजदूर बना दिया गया। इसलिए जन सुराज की व्यवस्था लाई गई है। पिछले 30 साल में MY समीकरण ही सिखाया गया ताकि भाजपा को हरा सकें। सच्चाई यही है कि आज MY है ही नहीं। इसका कारण है कि जहां Y खड़ा होता तो M साथ देते हैं, लेकिन जहां M खड़े होते वहां Y वोट नहीं करते। प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे कुछ आए या नहीं, लेकिन मैंने चुनाव लड़ाने का काम किया। मुझे 10 राज्यों में चुनाव लड़ाने का अनुभव है। समाज में जिसकी जितनी आबादी है उसको उतनी भागीदारी जन सुराज की तरफ से दी जाएगी। मुसलमानों से पीके ने कहा कि लालटेन में आप जल रहे हैं और रोशनी कहीं और हो रही है। मुसलमानों को अब जागना होगा ताकि मुसलमानों के बच्चों को उनका अधिकार मिल सके। लोकसभा में टिकट बंटवारे में मुसलमानों की अनदेखी जातीय जनगणना के अनुसार बिहार में मुसलमानों की संख्या 18 प्रतिशत है, लेकिन जब लोकसभा में टिकट देने की बात आई तब जदयू मात्र एक सीट पर तो बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट नहीं दी। वहीं माई समीकरण की बात करने वाली राजद ने भी अपने 23 उम्मीदवारों की सूची में मात्र 2 सीटों पर ही मुसलमान को उतारा। बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोटर हमेशा से राजद के साथ रहे हैं। लालू यादव के MY समीकरण के कारण वह 15 सालों तक बिहार की सत्ता पर काबिज रहे। हालांकि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद ने 22 सीटों में से दो सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। किशनगंज से मोहम्मद जावेद और कटिहार से तारिक अनवर दोनों ही उम्मीदवारों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस ने भी दो उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिसमें से दोनों ही उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। नीतीश कुमार से नाराज चल रहे मुस्लिम वोटर बिहार के मदरसों को लेकर विवाद चल रहा है। पाकिस्तान में प्रकाशित पुस्तकों से पढ़ाई के साथ कई गंभीर आरोप हैं। इस मुद्दे पर सरकार खामोश है, इस कारण से मुस्लिम समाज में आक्रोश है। केंद्र सरकार वक्फ संशोधन 2024 लाई, जिसमें वक्फ के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्ति वक्फ की नहीं माने जाने का नियम बना दिया गया है। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के बड़े नेताओं के साथ हाल ही में बैठक की और आश्वासन दिया कि वह उनके साथ हैं और आगे भी साथ रहेंगे। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए मुसलमानों के लिए कई सारी नई योजनाओं को लाने की बात भी कही। राजद के वोट बैंक में सेंधमारी करने में होंगे सफल पीके ? बिहार की सियासत में M वोट बैंक को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ कन्हैया भेलारी बताते हैं कि मुस्लिम वोट बैंक बिहार में निर्णायक रहा है। मुस्लिम वोट बैंक की खास बात यह रही है कि यह चुनाव में उसी को वोट करते हैं जो बीजेपी को हराने की स्थिति में होता है। पीके के उम्मीदवार अगर बीजेपी उम्मीदवार को हराने के स्थिति में होंगे तो मुसलमान उन्हें वोट देंगे पर मुस्लिम वोट बैंक को ऐसे पाले में लाना इतना आसान नहीं। आरजेडी के साथ मुस्लिम वोट बैंक पुराने समय से जुड़ा है, जिसे लालू से लेकर तेजस्वी तक ने साधने की कोशिश की है। बिहार में एनडीए के खिलाफ विधानसभा चुनाव में तेजस्वी मजबूती से अपने मुद्दे रखते आए हैं, जिससे मुस्लिम वोटर्स जुड़े रहे हैं। हालांकि पिछले विधानसभा में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल के जिलों में मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की थी और 5 सीटें जीत कर चौंका दिया था। पीके को मुस्लिम वोटर को अपने पाले में करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
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