कमाई का आधा हिस्सा पेड़ लगाने में करते खर्च: गोपालगंज के दिलशाद 12 साल से लगा रहे पेड़, बोले-लोग पागल कहते – Gopalganj News
गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव का एक युवक पिछले 12 साल से पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने की मुहिम में जुटा है। युवक के द्वारा शुरू किए गए मुहिम में अब गांव के छोटे छोटे बच्चे भी जुड़ने लगे है। आलम यह हैं की अब युवक के साथ ग
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बता दें की बिहार में इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने कई लोगों की जान ले ली, लेकिन इस कठिन समय में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। इन्ही लोगो में से एक नाम जुड़ता है। दरअसल मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव निवासी निजामुद्दीन मियां के बेटा दिलशाद की, दिलशाद पेशे से एक डिलीवरी बॉय है और मासिक 25 हजार रुपए कमाते है।
मां बाप के एकलौता बेटा है और उनकी दो बहन है। एक बहन की शादी हो चुकी है। घर में मां पिता और एक बहन के साथ दिलशाद रहते है। पिता पेशे से किसान है जो घर पर ही रहते है। जबकि दिलशाद परिवार का भरण पोषण करने के अलावा समाज के प्रति भी अपनी सकारात्मक सोच रखते हुए समाज में एक प्रेरणा का स्रोत बन हुए है।
25 हजार की आमदनी से दस हजार करते खर्च
दिलशाद एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जो पिछले छः माह पूर्व उसने फ्लिपकार्ट में डिलिवरी बॉय के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। जिससे 25 हजार रुपए मिलते और उसमे से दस हजार रुपए पेड़ लगाने के लिए पेड़ और पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए जाल बांस समेत विभिन्न कार्यों के लिए खर्च करते है। ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके। आज तक दिलशाद ने करीब पांच सौ पेड़ लगा चुके है। जबकि तीन सौ पेड़ सुरक्षित है और दो सौ पेड़ खराब हो गए।
दिलशाद के साथ मदद के लिए आए बच्चे।
पढ़ाई के दौरान मिली थी शिक्षक से प्रेरणा
दिलशाद ने बताया कि पेड़ लगाने की प्रेरणा उन्हें पढ़ाई के दौरान शिक्षक से मिली थी। बीते दिनों को याद कर दिलशाद बताते है की जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ता थे। तब उन्हें एक शिक्षक ने पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया था, साथ ही उन्होंने कहा था की अगर हम सभी मिलकर पेड़ लगाए तो पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। आज अधिक मात्रा में लोग अपने शौक सुविधाओं के कारण पेड़ काट रहे है। लेकिन लगा कुछ ही लोग रहे है। अगर एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाया जाए तभी इसकी पूर्ति हो सकती है।
पैकेट खर्च के लिए मिले पैसे गुलक करता था जमा
शिक्षक द्वारा कही गई बातों को दिलशाद अपने मन में बैठा लिया। इसके बाद मां पिता जी द्वारा उसे जो पैसे दिए जाते थे उसे वह अपने गुल्लक में जमा करने लगा ताकि पेड़ खरीद कर वह अपने घर के पास लगा सके। क्योंकि पेड़ खरीदने के लिए उसे पैसे नही मिल पाते थे। एक दिन गुल्लक में जमा पैसे को निकाल कर आम और लीची के दो पेड़ खरीद कर लाया और अपने जमीन पर उसे लगा डाला। जिसके बाद पेड़ की काफी देख भाल किया। इसके बाद वह अपने जमीन पर धीरे धीरे कई पेड़ लगाना शुरू कर दिया।
नहर के किनारे लगाया गया पेड़।
शुरूआत में परिवार से भी नही मिला स्पोर्ट अब करते है तारीफ
उन्होंने बताया ह शुरुआत में परिवार के लोगो ने विरोध किया, लेकिन जब उन्हें पेड़ लगाने के महत्व बताया तब परिवार के लोग भी उसका समर्थन करते हुए तारीफ करने लगे। जिसके बाद पेड़ लगाने की मुहिम आगे बढ़ता गया। इसके लिए इन्होंने किसी की मदद नहीं ली है। निजी पैसे से हीं इन्होंने पेड़ लगाने की शुरुआत की थी।
पॉकेट खर्च के रूप में जो पैसे इन्हें दिए जाते थे, उन्हीं पैसे को इकट्ठा कर पेड़ लगाते रहे। इसके बाद उन्होंने दुबई कमाने चला गया। दो साल दुबई में काम करने के बाद वापस अपने घर आया और फिर से पेड़ लगाने की अभियान को आगे बढ़ाया। दिलशाद ने बरगद, पीपल, नीम के अर्जुन शीत कई छायादार सैकडों पेड़ अपने गांव के सड़क के किनारे या फिर नहर के किनारे लगाया है।
इनके द्वारा लगाये गये कई पौधा आज वृक्ष बन गये हैं। पेड़ लगाने से पूर्व दिलशाद जगह चयनित कर गढ्ढा खोदकर जैविक खाद डालते हैं और उसके बाद पेड़ लगाते हैं। पेड़ लगाने के बाद उसे सुरक्षित रखने के लिए ऊपर से जाल लगा दिया जाता है ताकि जानवर उसका नुकसान न कर सके।
पर्यावरण को संतुलित करने के लिए कर रहे काम
दिलशाद बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्हें समझ आ गया था कि पेड़ लगाना कितना आवश्यक है। हमारे देश को अधिक पेड़ की आवश्यकता है लेकिन यहां वन की कटाई तेजी से किया जा रहा था। इस कारण अभी हम जलवायु परिवर्तन देख रहे हैं। हमारी यही सोच थी कि हम जितना अधिक पेड़ लगा सके ताकि पर्यावरण को संतुलित रख सके।
20 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य
पिछले 12साल में 300 से अधिक पेड़ लगा चुके हैं, जिसमें बरगद,गुलमोहर,नीम, पीपल, सागवान आदि शामिल है। उन्होंने प्रतिज्ञा लिया है की 20हजार पेड़ लगाया जाएगा ताकि पर्यावरण संरक्षित करने में हम एक छोटा सा प्रयास करें और इसे देख कर अन्य लोग भी प्रेरित हो रहे है तो कुछ लोग करते है तारीख कुछ मजाक उड़ाते है।
दिलशाद बताते है इस काम को करने पर कुछ लोग मजाक भी उड़ाते है और कुछ लोग सराहना करते है। पेड़ के महत्व सबसे ज्यादा छोटे बच्चे जानते है बाड़ों को लगता है की ये बेकार चीज है। ये सरकार का काम है। वही विभाग से भी संपर्क किए बावजूद कोई मदद नहीं मिल पाता है।
कुछ लोग कहते है की ये बेकार के काम कर रहा है, पागल हो गया है। इससे इसको क्या फायदा ये विभाग का काम है। वहीं कुछ लोग पेड़ को उखाड़ कर फेक देते है। जिसके कारण मजबूरन इसकी देखभाल के लिए लड़के रखे है। कुछ लड़कों को रखे है ताकि। उसकी रखवाली हो सके।
दिलशाद को देख पांच बच्चो में जगी सहयोग की भावना
दिलशाद द्वारा लोगो की बातो के परवाह किए बगैर पेड़ लगाने की मुहिम को आगे बढ़ाते और मेहनत करते देख गांव के ही पांच बच्चे जिसमे सुफरान अली, समीर दाऊद, सोनू कुमार शर्मा, नुमान अली, नीतीश कुमार और शमशाद हुसैन द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने में और पेड़ लगाने में दिलशाद का हाथ बटाते हैं।
फरवरी माह से यह बच्चे इनके साथ कंधे में कंधा मिलाकर इनके मुहिम को आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं इन्हें भी काफी खुशी मिलती है कि पेड़ लगाने में उनके द्वारा किए गए सहयोग किया जा रहा है
पर्यावरण सुरक्षित रखना एकमात्र उपाय
शुक्राण्या बताया कि मुझे भी अच्छा लगता है कि मैं पेड़ लगा रहा हूं। क्योंकि आज टेंपरेचर काफी बढ़ गया है हमारा पर्यावरण सुरक्षित नहीं है पर लगाना ही एकमात्र उपाय है। जब हम पेड़ लगाते हैं उनके साथ तो कुछ लोग मेरे पापा से शिकायत करते हैं लेकिन पापा को समझने के बाद उन्होंने भी मुझे कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है और मुझे अच्छा लगता है
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