बबली बाउंसर रिव्यू: न एक्टिंग का जलवा, न डायरेक्शन की चमक, निराश करती है मधुर भंडारकर की ‘बबली बाउंसर’

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बबली बाउंसर रिव्यू: न एक्टिंग का जलवा, न डायरेक्शन की चमक, निराश करती है मधुर भंडारकर की ‘बबली बाउंसर’


जानें कैसी है तमन्ना भाटिया की फिल्म ‘बबली बाउंसर’

नई दिल्ली :

सिनेमाघर पर फिल्में रिलीज हो रही हैं. उनके नतीजे अच्छे नहीं आ रहे हैं. लेकिन फिर भी प्रोड्यूसर दर्शकों की कसौटी पर कसे जाने के लिए सिनेमाघरों की राह पकड़ रहे हैं. कुछ ऐसी भी फिल्में हैं जिन्हें ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा है. देखा गया है कि सीधे ओटीटी पर रिलीज होने वाली अधिकतर फिल्में मनोरंजन की कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही हैं. जिसकी वजह कमजोर कहानी और डायरेक्शन है. ऐसा ही कुछ तमन्ना भाटिया अभिनीत और मधुर भंडारकर निर्देशित ‘बबली बाउंसर’ के बारे में भी है. फिल्म पूरी तरह निराश करती है. 

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बबली बाउंसर का ट्रेलर

‘बबली बाउंसर’ की कहानी बबली की है जो ऐसे गांव में रहती है जिसके अधिकतर लड़के दिल्ली के क्लबों में बाउंसर बनते हैं. उनकी जिंदगी का एकमात्र उद्देशय बाउंसर बनना ही है. सौरभ शुक्ला का अखाड़ा है, जिसमें वह सबको प्रशिक्षण देते हैं. बबली बिंदास है और सबकी खबर चुटकियों में ले लेती है. बबली के कैरेक्टर को बहुत ही रटी-रटाई परिपाटी पर गढ़ा गया है. बबली के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है. लेकिन फिर जिंदगी में कुछ ऐसा होता है वह दिल्ली जाने और बाउंसर बनने की राह चुनती है. दिल्ली जाने का यह उद्देश्य कुछ ऐसा है, जो बिल्कुल भी उत्साहित नहीं करता है और फिल्म के पूरे उद्देश्य पर ही पानी फेर देता है. कहानी लचर है. पेज थ्री, फैशन और चांदनी बार जैसी फिल्में बना चुके मधुर भंडारकर का दिल छू लेने वाला निर्देशन यहां पूरी तरह नदारद है. 

डिज्नी प्लस हॉटस्टार की फिल्म ‘बबली बाउंसर’ में तमन्ना भाटिया ने बबली बनने की पूरी कोशिश की है. अच्छी मेहनत भी की है. लेकिन किरदार कुछ इस तरह का है जिसमें वह फिट नहीं बैठती हैं. सौरभ शुक्ला ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है. बाकी फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे याद रखा जा सके. इस तरह मधुर भंडाकर इस बार पूरी तरह से चूक गए हैं. 

रेटिंग: 1.5/5 स्टार
डायरेक्टर: मधुर भंडारकर
कलाकार: तमन्ना भाटिया, सौरभ शुक्ला, सुप्रिया शुक्ला और अभिषेक बजाज

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