उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक हाईस्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार के सीतामढ़ी में खराब शिक्षा व्यवस्था को लेकर स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का ध्यान शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के खींचा है। उनका कहना है कि सूबे के शिक्षा मंत्री काश! रामचरित मानस और बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री से जुड़े मुद्दों को छोड़कर शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर ध्यान देते, तो आज सीतामढ़ी जिले के एक उत्क्रमित हाईस्कूल में शिक्षक के बिना बच्चे पढ़ाई के लिए तरस नहीं रहे होते।
‘सरकार सिर्फ लंबी-लंबी बातें करती है’
वहीं, लोगों का कहना है कि मंत्री जी और बिहार सरकार को सिर्फ अपनी कुर्सी की पड़ी है। इस हाईस्कूल में बच्चे नामांकन तो कराते हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं है। जहां राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार की लंबी-लंबी बातें कहती है, लेकिन धरातल पर व्यवस्था कुछ और ही है। सरकार जितने दावे करती है, वास्तव में उन दावों में उतना दम नहीं है। यह कड़वी सच्चाई है।
उत्क्रमित हाईस्कूल के बच्चों ने कहा कि स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं है, जो बच्चों को पढ़ा सके। हद तो यह कि शिक्षक नहीं होने के बावजूद बच्चे नामांकन कराते हैं। सीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड के अमनपुर में स्थापित उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक हाईस्कूल का यही हाल है।
मिडिल स्कूलों को उच्च विद्यालयों में किया गया था उत्क्रमित
पहले काफी दूरी पर हाईस्कूल हुआ करता था। इस कारण बच्चों को आने-जाने में काफी परेशानी होती थी। छात्र तो जैसे-तैसे हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण कर लेते थे। लेकिन छात्राएं हाईस्कूल दूर होने के कारण नहीं पढ़ पाती थीं और सिर्फ मिडिल स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण कर पाती थीं। छात्राओं की इस समस्या को गौर कर राज्य सरकार ने हर पंचायत में एक हाईस्कूल खोलने का निर्णय लिया। इसके तहत मिडिल स्कूलों को ही उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कर दिया गया। यह काम सरकार ने तेजी में किया और शिक्षकों की बहाली पर ध्यान नहीं दिया गया।
स्कूल उत्क्रमित होने के तीसरे साल भी शिक्षकों की बहाली नहीं
सरकार ने चोरौत प्रखंड के उक्त हाईस्कूल को साल 2020-21 में हाईस्कूल के रूप में उत्क्रमित किया था। ग्रामीणों ने बताया कि जिस साल यह मिडिल स्कूल उत्क्रमित हुआ, उसी साल से बच्चों का नामांकन शुरू हो गया। बच्चे यह समझते थे कि शिक्षक पदस्थापित होंगे। पर 2023 तीसरा साल है, जब एक भी शिक्षक की बहाली नहीं की गई है। फिलहाल उक्त हाईस्कूल में वर्ग 9वीं में 24, 10वीं में 48 और 11वीं में 33 छात्र और छात्राएं नामांकित हैं। बीते साल कक्षा दस में 89 बच्चे नामांकित थे, जो ट्यूशन पढ़कर बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुए थे।
‘ट्यूशन पढ़कर कोर्स पूरा करना पड़ता है’
छात्र आशुतोष कुमार और सुभाष कुमार समेत अन्य ने बताया कि शिक्षक के अभाव में ट्यूशन पढ़कर कोर्स पूरा करना पड़ता है। शिक्षक की बहाली के प्रति सरकार का कोई ध्यान नहीं है। स्कूल में बैठने के लिए डेस्क-बेंच भी नहीं है। यानी कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है।
‘सालों से स्थिति ज्यों की त्यों है’
मिडिल स्कूल की प्रभारी प्रधान शिक्षिका रेणु कुमारी ने बताया कि विभाग को शिक्षक बहाली और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए बार-बार पत्र भेजा जाता रहा है। लेकिन सालों से स्थिति ज्यों की त्यों है। वैसे मिडिल स्कूल में छह शिक्षक हैं, जो कक्षा आठ तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। यही शिक्षक जैसे-तैसे कक्षा नौ से ग्यारहवीं तक के बच्चों को भी पढ़ाते हैं।