टॉपर गरिमा लोहिया।
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के बारे में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। यह गरिमा लोहिया बोल नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने इसका प्रमाण दिखा दिया है। 2020 में जब कोविड की आपदा आई तो उस समय घर में बंद रहना मजबूरी थी, लेकिन गरिमा ने इसे ही अवसर में बदल डाला। यह भ्रांति भी तोड़ डाली कि बिना महंगे कोचिंग संस्थानों में पढ़े हुए यूपीएससी की यह परीक्षा नहीं पास की जा सकती। सिविल सर्विसेज परीक्षा में देश में दूसरे नंबर (AIR-2) पर आईं गरिमा लोहिया ने कब इस परीक्षा के बारे में सोचा, यह जानने के साथ ही यह बात भी रोचक है कि वह पढ़ाई की सुविधा और माहौल से ज्यादा महत्व किन तीन बातों को देती हैं। कैसे, उन तीन बातों ने पिता के गम के बीच एक युवती को बिहार की गरिमा बना दिया? ऐसी बहुत सारी बातें हैं, जिन्हें जानना उन सभी के लिए जरूरी है, जिनके पास संसाधन कम हैं। ‘अमर उजाला’ ने पांच ऑब्जेक्टिव और 15 सब्जेक्टिव सवालों के साथ गरिमा लोहिया से बात की। इन जवाबों में रची है पूरी सक्सेस स्टोरी।
जानिए ऑब्जेक्टिव सवाल और उसके जवाब
सवाल – यह अटैम्प्ट नंबर कितना था?
- गरिमा लोहिया- दूसरा
सवाल – मेंस तक कितनी बार पहुंची थीं?
- गरिमा लोहिया – पहली बार
सवाल – इंटरव्यू तक कितनी बार पहुंचीं?
- गरिमा लोहिया- पहली बार
सवाल – सिविल सेवा परीक्षा का विचार कब आया था?
- गरिमा लोहिया- कॉलेज के दिनों में
सवाल – इसकी तैयारी कब से शुरू की थी?
- गरिमा लोहिया – 2020 कोविड लॉकडाउन में
अब जानिए सब्जेक्टिव सवाल और उनके जवाब
सवाल – आप सोशल मीडिया पर एक्टिव थीं या नहीं? थीं तो कितना समय किस तरह देती थीं?
- गरिमा लोहिया – फेसबुक पर मेरा अकाउंट नहीं हैं। जिस विषय पर कुछ विशेष जानकारी लेनी होती थी, उसे मैं यूट्यूब पर थोड़ा बहुत समय देती थी। जब कुछ मैटेरियल खोजकर समझना होता था तो इसका इस्तेमाल किया। इसके अलावा व्हाट्सएप यूज करती थी, लेकिन उसमें बकवास ग्रुप नहीं रखा था।
सवाल – सेल्फ स्टडी की, कोचिंग किया या सेल्फ स्टडी के साथ ऑनलाइन तैयारी की?
- गरिमा लोहिया – सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन तैयारी की।
सवाल – दृढ़ इच्छा, मेहनत, पढ़ाई का माहौल, पढ़ाई की सुविधा और भाग्य के बारे में क्या कहेंगीं?
- गरिमा लोहिया – सबका अपना अपना रोल है। सफलता में सबसे बड़ा रोल दृढ निश्चय का है। पढ़ाई की सारी सुविधाएं और माहौल को दरकिनार पाते हैं, जब दृढ़ निश्चय न हो। दृढ़ निश्चय आपका सबसे ताकतवर पक्ष हो। उस हिसाब से मेहनत करेंगे और भाग्य साथ देगा तो इस तरह का रिजल्ट आएगा।
सवाल – घर में पढ़ाई का माहौल कैसा है?
- गरिमा लोहिया – घर में अगर कोई पर्व त्यौहार का माहौल होता है तो उस स्थिति में मैं दिन में नहीं पढ़ पाती हूं तब उस स्थिति में दिन की पढाई मैं रात में कर लिया करती हूं। जब पढाई का माहौल ठीक रहता है, तब मैं दिन में ही पढ़ लिया करती हूं। मेरे घर में मेरी मां और छोटा भाई है। मेरी दीदी की शादी हो चुकी है। मेरे जीजा जी कटनी में हैं। परिवार में दादा और चाचा परिवार के भी सदस्य हैं, लेकिन पढ़ाई को लेकर कोई अवराेध कहीं से नहीं होता है।
सवाल – क्या आप राजस्थान गई हैं? जहां के आपके पूर्वज हैं…
- गरिमा लोहिया – नहीं, अब तक मौका नहीं मिला है, लेकिन वहां जाना जरूर चाहूंगी। बिहार को ठीक से जान सकी हूं, लेकिन पूर्वजों की धरती को नहीं। इसलिए, यह एक निजी इच्छा है।
सवाल – भाग्य का क्या रोल है?
- गरिमा लोहिया – परीक्षा में भाग्य का बहुत बड़ा रोल है और इस तरह से मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे इतना अच्छा रैंक मिला है। जो लोग मेहनत करते हैं वही आगे बढ़ते हैं। सबकी मेहनत अच्छी होती है, लेकिन भाग्य साथ देता है तो ही वह बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल करता है।
सवाल – प्राथमिक परीक्षा में किस बात पर फोकस रखा?
- गरिमा लोहिया – बेसिक और स्टेटिक सब्जेक्ट पर ज्यादा फोकस किया था।
सवाल – किस तरह से तैयारी की थीं?
- गरिमा लोहिया – टेक्स्ट बुक से कई बार रिवाइज करती थी। राजनीतिशास्त्र के लिए लक्ष्मीकांत, ई-बुक भी बार-बार और कई बार पढ़ती थी।
सवाल – 10वीं-12वीं की पढ़ाई बैकग्राउंडर का काम करती है या फिर बेकार हो जाती है?
- गरिमा लोहिया – उसी पढ़ाई से आपका बेस बनता है। यह पढ़ने की आदत डालने के लिए भी है। इससे अनुशासन के तहत आपको पढ़ने की आदत हो जाती है। साथ ही यह भी कहना चाहूंगी कि मेहनत के बल पर वैसे अभ्यर्थी भी बढ़िया कर सकते हैं, जिन्होंने मैट्रिक और इंटर में अच्छा नहीं किया है।
सवाल – मेंस एग्जाम के समय सबसे ज्यादा ध्यान किस बात का रखा?
- गरिमा लोहिया – मेंस एग्जाम में जो सिलेबस है, उसकी एक लाइन भी नहीं छूटे- यही फोकस था। उसमें जो भी टॉपिक हैं, वह सबकुछ कवर हो जाए। जो उत्तर पुस्तिका है, वह तीन घंटे के अंदर लिखी भी जाए। जितने प्रश्नों के जवाब देने हैं, वह शत प्रतिशत दें।
सवाल – तो क्या आप टाइमर लगाती थीं?
- गरिमा लोहिया – मैं दिन में दो बात टाइमर लगाकर तीन-तीन घंटे का टेस्ट देती थी। इस काम में मुझे मेरा भाई मेरी मदद करता रहा।
सवाल – इंटरव्यू में आपको सफलता कैसे मिली?
- गरिमा लोहिया – फॉर्म भरते समय आप जिन बातों की जानकारी देते हैं, उसकी तैयारी बहुत अच्छी तरह से करनी चाहिए। दूसरी बात उस माहौल की तैयारी करनी चाहिए, जिसमें नर्वस नहीं होना है।
- सवाल – इंटरव्यू में क्या-क्या पूछा गया?
- गरिमा लोहिया – लोकल से ग्लोबल तक पूछा गया। फॉर्म भरते समय जो भी जानकारी दी थी, उससे पूछा गया। मेरे जिले बक्सर के बारे में पूछा गया। सिर्फ वर्तमान ही नहीं, बक्सर के युद्ध के बारे में भी पूछा गया। फंडामेंटल राइट्स के बारे में पूछा गया। रूस-युक्रेन युद्ध के बारे में पूछा गया। युद्ध के बारे में मेरी सोच और पक्ष जानने का प्रयास किया गया। ऐसे पक्ष आप तभी रख सकते हैं, जब आपने बारीकी से अध्ययन किया हो।
सवाल – क्या चुना था, क्या मिला है और इससे बिहार को क्या देंगीं?
- गरिमा लोहिया – बिहार कैडर चुना है। राज्या की जरूरत को देखें तो सबसे ज्यादा शिक्षा पर फोकस करना चाहूंगी। प्रारंभिक शिक्षा को सुधरने के लिए जो कुछ हो पाएगा, उसके लिए कोशिश करूंगी। इसके अलावा, बिहार की महिलाओं के लिए मैं कुछ करना चाहूंगी। बिहार में 55 फीसदी युवा 18 साल से कम वाले हैं, इसलिए उनके लिए मैं कुछ ऐसा कर पाऊं तो सुकून मिलेगा।
सवाल – शिक्षा में क्या ऐसी जरूरत नजर आ रही कि आप सुधारना चाहती हैं?
- गरिमा लोहिया – प्रारंभिक शिक्षकों का प्रशिक्षण जरूरी है। बिहार प्रतिभाओं की धरती है और निखरने से पहले उसे प्रारंभिक स्कूलों में पौधे की तरह नजाकत से संभालकर रास्ता दिखाने की जरूरत है।